दिल्ली | बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने के मामलों पर कड़ा रुख अपनाया है। मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने कहा कि नियमों की अनदेखी करने वाले कुछ किसानों को जेल भेजना ज़रूरी है, ताकि यह कदम दूसरों के लिए चेतावनी बने और निवारक के रूप में काम करे।
एमिकस क्यूरी अपराजिता सिंह ने कोर्ट को बताया कि पराली प्रबंधन के लिए किसानों को सब्सिडी और उपकरण दिए गए हैं, फिर भी कई किसान पुराने बहानों पर अड़े हैं। इस पर सीजेआई गवई ने कहा कि किसानों का अन्नदाता होने का दर्जा उन्हें कानून तोड़ने का अधिकार नहीं देता। उन्होंने राज्यों से सवाल किया कि अब तक सख्त दंडात्मक प्रावधान क्यों नहीं बने।
पंजाब सरकार ने दलील दी कि पराली जलाने के मामलों में कमी आई है और आने वाले वर्षों में यह और घटेगी। हालांकि, किसानों का कहना है कि मजदूरों और मशीनों से फसल अवशेष हटाना महंगा पड़ता है, इसलिए वे पराली जलाते हैं। कोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए ऐसा बहाना स्वीकार्य नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि पराली जलाने पर कड़े नियम बनाकर किसानों को चेतावनी दें और उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करें। कोर्ट का यह कदम दिल्ली-एनसीआर के वायु प्रदूषण को कम करने और किसानों में जागरूकता बढ़ाने की दिशा में अहम माना जा रहा है।