
नई दिल्ली। ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप्स पर रोक लगाने की मांग को लेकर दाखिल एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने इस मामले में सभी राज्यों को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है। साथ ही, गूगल इंडिया और एप्पल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को भी नोटिस भेजकर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला जनहित से जुड़ा है और युवाओं के भविष्य को प्रभावित कर रहा है, इसलिए इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई में ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप्स पर अंतरिम रोक लगाने की मांग पर फैसला लिया जाएगा।
इससे पहले कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था। यह याचिका ईसाई धर्म प्रचारक के. ए. पॉल की ओर से दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि ऑनलाइन बेटिंग ऐप्स जुए की तरह हैं और इनकी लत के कारण लाखों युवा बर्बादी के कगार पर पहुंच रहे हैं। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि केवल तेलंगाना में ही सट्टेबाजी ऐप्स की लत के चलते 1,023 लोगों ने आत्महत्या कर ली है।
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि बॉलीवुड और टॉलीवुड से जुड़े करीब 25 अभिनेता और कई बड़े सेलिब्रिटी खिलाड़ी इन सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म्स का प्रचार कर रहे हैं, जिससे युवा पीढ़ी गुमराह हो रही है।
इसके अलावा, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी इस मामले में गूगल और मेटा (फेसबुक) को समन जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया है। ईडी का आरोप है कि गूगल और मेटा ने अपने प्लेटफॉर्म्स पर इन अवैध सट्टेबाजी ऐप्स के विज्ञापनों को बढ़ावा दिया है। जांच में पाया गया कि ये ऐप्स स्किल-बेस्ड गेमिंग के नाम पर अवैध सट्टेबाजी को बढ़ावा देते हैं और इनके माध्यम से करोड़ों रुपये की अवैध कमाई की गई, जिसे हवाला के जरिए सफेद धन में बदलने की कोशिश की गई है।
ईडी ने 28 जुलाई को गूगल और मेटा के प्रतिनिधियों को दिल्ली स्थित कार्यालय में पूछताछ के लिए बुलाया था। इससे पहले 21 जुलाई को भी समन जारी किया गया था, लेकिन दोनों कंपनियों के प्रतिनिधि पेश नहीं हो सके थे, जिसके कारण दोबारा समन जारी किया गया।
अब सुप्रीम कोर्ट इस पूरे मामले पर गंभीरता से विचार कर रहा है और आने वाली सुनवाई में अंतरिम रोक लगाने पर फैसला ले सकता है।