धनपूंजी में परिवहन विभाग की लापरवाही उजागर: निजी जमीन पर बना RTO बेरियर और धर्मकांटा, कोर्ट ने हटाने का दिया आदेश

जगदलपुर, बस्तर। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में परिवहन विभाग (RTO) की एक बड़ी लापरवाही उजागर हुई है, जिससे न केवल सरकार को लाखों का नुकसान हुआ है, बल्कि हर महीने मिलने वाले 25 लाख रुपये के राजस्व पर भी संकट मंडराने लगा है। मामला बस्तर के धनपूंजी क्षेत्र का है, जहां विभाग ने बिना भूमि स्वामित्व की पुष्टि किए एक निजी और विवादित जमीन पर ट्रांसपोर्ट बेरियर और धर्मकांटा स्थापित कर दिया था। अब जमीन मालिक की शिकायत पर न्यायालय ने इन दोनों को तत्काल हटाने का आदेश दिया है।

अधिकारियों की गलती से सरकार को लाखों का नुकसान

जानकारी के अनुसार, परिवहन विभाग ने धनपूंजी के सीमावर्ती इलाके में ओवरलोड वाहनों की जांच और राजस्व वसूली के लिए बेरियर और धर्मकांटा बनाया था। लेकिन यह जमीन एक निजी व्यक्ति की थी, जिसने अदालत में याचिका दाखिल कर दी। लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद न्यायालय ने जमीन मालिक के पक्ष में फैसला सुनाया और परिवहन विभाग को तत्काल जमीन खाली करने का निर्देश दिया है।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि लाखों रुपये खर्च कर तैयार किया गया धर्मकांटा विवाद के चलते एक दिन भी शुरू नहीं हो पाया, जिससे शासन की भारी आर्थिक क्षति हुई।

25 लाख मासिक राजस्व पर ब्रेक, कर्मचारी भी परेशान

धनपूंजी बेरियर सरकार के लिए राजस्व का एक बड़ा केंद्र था, जहां से हर महीने लगभग 25 लाख रुपये से अधिक का राजस्व आता था। कोर्ट के आदेश के बाद बेरियर हटाने से अब यह राजस्व पूरी तरह रुक जाएगा। साथ ही, यहां तैनात कर्मचारियों के सामने रोजगार संकट भी खड़ा हो गया है, जिससे वे भी असमंजस में हैं।

अधिकारी बोले- आदेश का पालन करेंगे

इस मामले में संयुक्त कलेक्टर एवं क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी डीसी बंजारे ने कहा कि न्यायालय के आदेश का पालन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि विवादित जमीन से बेरियर और धर्मकांटा को हटाकर इसे किसी वैध सरकारी भूमि पर स्थानांतरित करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है, ताकि वाहनों की जांच और राजस्व वसूली का कार्य बाधित न हो। इसके लिए उन्होंने हाल ही में मौके का निरीक्षण भी किया है।

लापरवाही पर उठे सवाल, जिम्मेदार कौन?

इस प्रकरण ने परिवहन विभाग की कार्यशैली और जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बिना भूमि स्वामित्व की पुष्टि किए लाखों रुपये खर्च कर बनाए गए ढांचे का एक दिन भी उपयोग न हो पाना, शासन-प्रशासन की बड़ी चूक मानी जा रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *