भिलाई/दुर्ग। छत्तीसगढ़ के भिलाई जिला अस्पताल में एक बार फिर स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही उजागर हुई है। महज एक महीने के भीतर दूसरी प्रसूता की मौत ने अस्पताल की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। शनिवार को दुर्ग निवासी ममता (28) की सिजेरियन ऑपरेशन के महज तीन घंटे बाद मौत हो गई, जिससे पूरे अस्पताल प्रबंधन पर सवालों की बौछार हो गई है।
ममता ने सुरक्षित प्रसव के लिए अस्पताल का रुख किया था, लेकिन ऑपरेशन के कुछ ही घंटों में उसकी तबीयत बिगड़ने लगी। डॉक्टरों ने एमनियोटिक फ्लूइड एम्बोलिज्म को संभावित कारण बताया है, जो एक दुर्लभ और जानलेवा स्थिति है। हालांकि, लगातार हो रही लापरवाही की घटनाओं के बीच इस तर्क पर भरोसा करना कठिन हो रहा है। ममता का पोस्टमार्टम कर वास्तविक कारण जानने की कोशिश की जा रही है।
पहले भी हो चुकी है ऐसी लापरवाही
यह घटना 9 जुलाई को कुगदा निवासी आरती मारकंडे की मौत के ठीक बाद सामने आई है। आरती की भी सामान्य प्रसव के बाद अस्पताल में मौत हो गई थी, जिसकी जांच रिपोर्ट अब तक सार्वजनिक नहीं हो पाई है।
भिलाई जिला अस्पताल इससे पहले भी विवादों में रहा है। जनवरी में बच्चों की अदला-बदली की घटना ने अस्पताल की व्यवस्थाओं की पोल खोल दी थी, जिसमें डीएनए टेस्ट कराकर बच्चों को असली माता-पिता को सौंपा गया था।
पैसों के खेल और स्टाफ की कमी पर भी सवाल
अस्पताल पर परिजन यह भी आरोप लगाते हैं कि बेहतर देखभाल के लिए पैसों की मांग की जाती है। पैसे देने पर सही इलाज मिलता है, जबकि पैसे न देने पर लापरवाही की जाती है। इसके साथ ही, दिसंबर 2024 में अनुभवी नर्सों के तबादले और स्टाफ की भारी कमी ने व्यवस्थाओं को और बिगाड़ दिया है।
कौन है जिम्मेदार?
लगातार हो रही इन घटनाओं ने जिला अस्पताल की साख पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक बार फिर यह सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर मासूम नवजातों से ममता का साया बार-बार क्यों छिन रहा है? और इसके लिए जिम्मेदार कौन है?