रेलवे अर्बन बैंक में फर्जी भर्ती का पर्दाफाश, ऑडिट रिपोर्ट के बाद दो कर्मचारी बाहर, अन्य पर भी गिरेगी गाज

बिलासपुर | दक्षिण पूर्व, दक्षिण पूर्व मध्य और पूर्व तटीय रेलवे को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी (रेलवे अर्बन बैंक) में फर्जी नियुक्ति और भ्रष्टाचार के मामले लगातार गंभीर होते जा रहे हैं। प्रबंधन ने स्पष्ट किया है कि जांच में दोषी पाए गए कर्मचारियों पर कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा रही है। इसी क्रम में दो कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है, जबकि बाकी संदिग्ध कर्मचारियों को शो-कॉज नोटिस जारी किए गए हैं। इनमें से कुछ कर्मचारी पहले ही कटक हाईकोर्ट का रुख कर चुके हैं।

चेयरपर्सन एस.पी. सिंह ने बताया कि वर्ष 2015 से 2024 तक की सभी वित्तीय लेन-देन और गतिविधियों की जांच नई दिल्ली के माध्यम से सीएजी की देखरेख में फॉरेंसिक ऑडिट से कराई जा रही है। इस जांच की अंतिम रिपोर्ट एक वर्ष के भीतर आने की संभावना है। भ्रष्टाचार में संलिप्त डायरेक्टरों पर कार्रवाई के लिए दो बार केंद्रीय मंत्रालय को पत्र भेजा जा चुका है और हाल ही में रिमाइंडर भी भेजा गया है।

नई नियुक्ति नीति लागू
बैंक के डेलीगेट गोपी राव ने बताया कि नागपुर अधिवेशन में नए कानून पास किए गए हैं। इसके तहत अब केवल शेयरधारकों के बच्चों को ही परीक्षा के माध्यम से नौकरी दी जाएगी। ब्याज दर घटाने की मांग को उन्होंने बिना अध्ययन का बताया और कहा कि सोसाइटी का वर्तमान ब्याज दर मात्र 4.94 प्रतिशत है, जो अन्य जोनल को-ऑपरेटिव सोसाइटी की तुलना में कम है।

शेयरधारकों को मिलेगा विशेष लाभ
नए प्रावधान के अनुसार, यदि किसी शेयरधारक की लोन अवधि के दौरान मृत्यु हो जाती है, तो मात्र 0.25 प्रतिशत प्रीमियम पर उसका पूरा लोन माफ कर इंश्योरेंस कवर प्रदान किया जाएगा।

इस तरह रेलवे अर्बन बैंक ने फर्जी नियुक्ति और भ्रष्टाचार पर सख्त रुख अपनाते हुए पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

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