भिलाई। दिनांक 5 जुलाई 2025 को महात्मा गांधी कला मंदिर, सिविक सेंटर, सेक्टर-6 भिलाई में नर्सों एवं पैरामेडिकल कर्मचारियों के लिए नवीन आपराधिक कानूनों पर आधारित संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े कर्मियों को नए न्यायिक प्रावधानों एवं साक्ष्य प्रक्रिया की जानकारी देना था, जिससे वे न्यायिक व्यवस्था में अधिक सशक्त भूमिका निभा सकें।
कार्यशाला में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विजय अग्रवाल (भा.पु.से.), वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी एफएसएल पंकज ताम्रकार, जिला अभियोजन अधिकारी अनुरेखा सिंह और सेवानिवृत्त एएसपी अशोक जोशी बतौर अतिथि उपस्थित थे।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री विजय अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय न्याय संहिता के नवीन संस्करण में न्याय प्रक्रिया को तीव्र और पारदर्शी बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। अब महिलाओं से जुड़े अपराधों में दंड को अधिक कठोर किया गया है, साथ ही धारा-4 में सामुदायिक सेवा को एक वैकल्पिक दंड के रूप में शामिल किया गया है।
न्यायिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता के लिए प्रत्येक तलाशी की फोटोग्राफी/वीडियोग्राफी अनिवार्य कर दी गई है, जो न्यायालय में वैध साक्ष्य के रूप में मान्य होंगे। साथ ही गंभीर अपराधों (7 वर्ष या उससे अधिक सजा वाले) में फॉरेंसिक टीम की उपस्थिति अनिवार्य की गई है।
एफएसएल के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी पंकज ताम्रकार ने बताया कि ई-कोर्ट, ई-जस्टिस, ई-फॉरेंसिक सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल साक्ष्यों का विशेष महत्व है। उन्होंने वैज्ञानिक साक्ष्य संग्रह, पैकिंग, चैन ऑफ कस्टडी और समय प्रबंधन की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डाला।
जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती अनुरेखा सिंह ने बलात्कार पीड़िता के चिकित्सीय परीक्षण की प्रक्रिया, समयसीमा (24 घंटे में परीक्षण, 7 दिन में रिपोर्ट), तथा डॉक्टर द्वारा अभियुक्त की चोट के संबंध में स्पष्ट अभिमत देने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि 12 वर्ष से कम आयु की पीड़िता के मामले में माता-पिता या संरक्षक की अनुमति आवश्यक है।
कार्यशाला में दुर्ग जिले के कई वरिष्ठ अधिकारी, पुलिसकर्मी एवं पैरामेडिकल स्टाफ की उपस्थिति रही जिनमें एएसपी श्री सुखनंदन राठौर, डीएसपी चंद्रप्रकाश तिवारी, और रक्षित निरीक्षक नीलकंठ वर्मा प्रमुख थे।
इस कार्यशाला के माध्यम से चिकित्सा एवं पुलिस विभाग के बीच सहयोग की नई दिशा तैयार की गई, जिससे न्यायिक प्रक्रिया में तेजी, साक्ष्य की गुणवत्ता और अपराध नियंत्रण में बेहतर समन्वय सुनिश्चित किया जा सके।