छत्तीसगढ़ का 6350 करोड़ का डीएमएफ घोटाला: ईडी ने किया बड़ा खुलासा, बीज निगम के जरिए हुई बंदरबांट

रायपुर। छत्तीसगढ़ में 6350 करोड़ रुपए के बहुचर्चित डीएमएफ घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ा खुलासा किया है। जांच में सामने आया है कि डीएमएफ की राशि का दुरुपयोग राज्य कृषि और बीज विकास निगम (बीज निगम) के माध्यम से किया गया। अफसरों ने बीज निगम से की गई खरीदी में 60 फीसदी तक कमीशन वसूला, जिसमें कलेक्टर को 40 फीसदी हिस्सा मिलता था और शेष रकम अधिकारियों व दलालों के जरिए नीचे तक बंटती थी।

छापेमारी में भारी बरामदगी

ईडी ने बताया कि 3 और 4 सितंबर को रायपुर, भिलाई-दुर्ग और राजिम में की गई कार्रवाई के दौरान 4 करोड़ रुपए नकद, 10 किलो चांदी की ईंटें और डिजिटल उपकरण सहित कई आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए गए। ये कार्रवाई लाइजनरों, ठेकेदारों और वेंडर्स के निवास व कार्यालयों पर की गई थी, जो बीज निगम से जुड़े कारोबारी थे।

घोटाले की परतें खुलीं

ईडी के अनुसार, डीएमएफ घोटाले की परतें ठेकेदारों और वेंडर्स के नेटवर्क से खुल रही हैं। ईओडब्ल्यू और एसीबी द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर यह कार्रवाई की गई। एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि खनन प्रभावित क्षेत्रों के लिए बनी डीएमएफ राशि का अफसरों और ठेकेदारों ने बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया।

टेंडरों में अनियमितताएं

जांच में सामने आया कि कोरबा के फंड से डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड के तहत टेंडर आवंटन में भारी गड़बड़ियां हुईं। ईडी की रिपोर्ट में टेंडर करने वाले संजय शिंदे, अशोक कुमार अग्रवाल, मुकेश कुमार अग्रवाल, ऋषभ सोनी और बिचौलिए मनोज कुमार द्विवेदी, रवि शर्मा, पियूष सोनी, पीयूष साहू, अब्दुल और शेखर के नाम सामने आए हैं।

प्रावधानों में बदलाव कर बढ़ाया घोटाला

ईडी के अनुसार, डीएमएफ घोटाले में अफसरों ने फंड खर्च के नियमों में बदलाव कर घोटाले का रास्ता आसान किया। नए प्रावधानों के तहत ट्रेनिंग, मेडिकल उपकरण, मटेरियल सप्लाई, खेल सामग्री और कृषि उपकरण जैसी श्रेणियों को जोड़ा गया। इससे उच्च कमीशन वाले प्रोजेक्ट्स को मंजूरी देकर भारी भ्रष्टाचार किया गया। एसीबी और ईओडब्ल्यू ने इस मामले में 6 हजार पन्नों का चालान कोर्ट में पेश किया है।

ऐसे हुई बंदरबांट

जांच में सामने आया कि डीएमएफ फंड से किए गए वर्क प्रोजेक्ट्स में बंदरबांट की गई।

  • कलेक्टर को 40%
  • सीईओ को 5%
  • एसडीओ को 3%
  • सब इंजीनियर को 2%

बाकी रकम दलालों और नेटवर्क के जरिए ऊपर तक पहुंचाई गई।

 ईडी की कार्रवाई के बाद यह घोटाला और गहराई से जांच के घेरे में आ गया है। आने वाले दिनों में और बड़े खुलासे होने की संभावना है।

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