नेशनल डेस्क:
छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैया की उपासना का पवित्र पर्व है, जिसे खासकर बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल के लोग अत्यंत श्रद्धा और समर्पण के साथ मनाते हैं। यह त्योहार न सिर्फ भक्ति का प्रतीक है, बल्कि आत्मसंयम और अनुशासन की मिसाल भी है। छठ व्रत की विशेषता है 36 घंटे का निर्जला उपवास — यानी बिना अन्न और जल के रहकर पूजा-अर्चना करना, जो इसे सबसे कठिन व्रतों में शामिल करता है।
व्रत की पवित्र प्रक्रिया
छठ पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जब व्रती महिलाएं शुद्ध-सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं और शरीर-मन को व्रत के लिए तैयार करती हैं। अगले दिन खरना के अवसर पर खीर, रोटी और फल का प्रसाद लेकर व्रत की औपचारिक शुरुआत होती है।
मुख्य दो दिन — संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य — सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। इन दिनों व्रती सूर्यास्त और सूर्योदय के समय जलाशयों में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं और परिवार की समृद्धि, स्वास्थ्य तथा सुख-शांति की कामना करती हैं।
हर महिला के लिए सुरक्षित है यह व्रत?
आस्था जितनी गहरी है, यह व्रत उतना ही कठिन भी है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, 36 घंटे का निर्जला उपवास हर महिला के लिए सुरक्षित नहीं होता। गर्भवती महिलाएं, स्तनपान कराने वाली माताएं, उच्च या निम्न रक्तचाप, ब्लड शुगर, या अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहीं महिलाओं को यह व्रत करने से पहले चिकित्सकीय सलाह अवश्य लेनी चाहिए।
लंबे समय तक भूखे-प्यासे रहने से शरीर में पानी की कमी (डिहाइड्रेशन), कमजोरी, ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव, चक्कर आना या थकान जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
डॉक्टर की राय
आरएमएल अस्पताल के मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. सुभाष गिरी बताते हैं कि छठ व्रत के दौरान शारीरिक संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है।
“यदि किसी को पहले से कोई बीमारी है, तो डॉक्टर से सलाह लेना अनिवार्य है। व्रत शुरू करने से पहले हल्का और पौष्टिक भोजन करें जिसमें फल, खीर, हरी सब्जियां और पर्याप्त तरल पदार्थ शामिल हों,”
वे कहते हैं।
डॉक्टर का यह भी सुझाव है कि निर्जला उपवास के दौरान अत्यधिक श्रम, तनाव या लंबे समय तक धूप में खड़े रहने से बचें। अगर कमजोरी या चक्कर महसूस हो, तो तुरंत व्रत तोड़ देना चाहिए।
व्रती महिलाओं के लिए उपयोगी सुझाव
- व्रत शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।
- उपवास से पूर्व हल्का, पौष्टिक और सात्विक भोजन करें।
- निर्जला व्रत के दौरान भारी काम या अत्यधिक शारीरिक गतिविधि न करें।
- शरीर में पानी की कमी न होने दें — नहाय-खाय से पहले पर्याप्त तरल पदार्थ लें।
- कमजोरी या असामान्य थकान महसूस हो तो व्रत तोड़ने में संकोच न करें।
- सूर्य को अर्घ्य देते समय धीरे-धीरे शरीर को जल में ढालें और सावधानी रखें।
- पर्याप्त विश्राम और नींद लेकर मन को शांत रखें।